भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"विश्लेषण / नील्स फर्लिन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नील्स फर्लिन |संग्रह= }} <Poem> वह ईश्व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:50, 16 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण
वह ईश्वर, जो रहता है ऊंचाई पर,
दिया उसने तुम्हें दुखी हृदय
और उसपर दे दी व्यग्र आँखें
--- अतः हैं चिंताएं सक्रीय!
तुम्हारी टूटन और तुम्हारा दर्द
कुछ बेहतर होते, मेरे भाई, मिलता तुमें अगर
कुछ और आकर्षक हृदय
और एक अधिक सार्वभौम नज़र.
(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)