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"दुख जोड़ेंगे हमें. / ब्रजमोहन" के अवतरणों में अंतर

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कैसे-कैसे जिए मन मार के हम
 
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बोझ ढोते उतार-उतार के हम
 
बोझ ढोते उतार-उतार के हम
देख-देख कभी वो भी दौड़ेंगे हम...
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01:02, 17 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

धीरे-धीरे ही सही दुख जोड़ेंगे हमें
इक साथ ही लाके ये छोड़ेंगे हमें...

पतवार मिली न ही नाव कोई
काटता ही रहा रे पाँव कोई
रास्ते इक राह पे छोड़ेंगे हमें...

कटते ही रहे दिन रातों में
लोग ठगते रहे बातों बातों में
हम एक हुए तो वो क्या तोड़ेंगे हमें...

कैसे-कैसे जिए मन मार के हम
बोझ ढोते उतार-उतार के हम
देख-देख कभी वो भी दौड़ेंगे हमें...