भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नवम्बर / टोमास ट्रान्सटोमर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=टोमास ट्रान्सटोमर |संग्रह= }} <Poem> जब...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

14:16, 17 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

जब जल्लाद ऊब जाता है हो जाता है वह ख़तरनाक.
जलता हुआ आकाश समेट लेता है स्वयं को.

दस्तक सुनाई देती है कक्ष दर कक्ष
और कमरे से बाहर बह उठता है तुषार.

कुछ पत्थर चमकते हैं पूर्ण चन्द्र की तरह.


(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)