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"दुनिया का सबसे अजीब प्राणी / नाज़िम हिक़मत" के अवतरणों में अंतर

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18:29, 19 अक्टूबर 2017 का अवतरण

तुम किसी बिच्छू की तरह हो, मेरे भाई,
बिच्छू की तरह
रहते हो कायरता से भरे अँधेरे में.
तुम किसी गौरैया की तरह हो, मेरे भाई,
गौरैया की तरह
हमेशा रहते हो हड़बड़ी में.
तुम किसी सीपी की तरह हो, मेरे भाई,
सीपी की तरह बंद और संतुष्ट.
और तुम डरावने हो, मेरे भाई,
किसी सुप्त ज्वालामुखी की तरह डरावने.

एक नहीं,
पांच नहीं --
अफ़सोस की बात है कि लाखों की संख्या में हो तुम.
तुम किसी भेंड़ की तरह हो, मेरे भाई :
जब भेंड़ की खाल ओढ़े चरवाहा अपना डंडा उठाता है,
तुम झट से शामिल हो जाते हो झुण्ड में
और लगभग गर्व से भरे दौड़ पड़ते हो बूचड़खाने की तरफ.
मेरा मतलब है कि तुम इस दुनिया के सबसे अजीब प्राणी हो --
मछली से भी ज्यादा अजीब
जो पानी में होते हुए भी समुद्र को नहीं देख पाती.
और इस दुनिया में शोषण
तुम्हारी ही वजह से है.
और अगर हम भूखे, थके, लहूलुहान हैं
और पीसे जाते हैं जैसे शराब के लिए अंगूर,
यह तुम्हारी गलती है --
बहुत मुश्किल है मेरे लिए यह कहना,
मगर मेरे भाई, ज्यादा गलती तुम्हारी ही है.
                                                                 1947

अनुवाद : मनोज पटेल