भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मुंबई : कुछ कविताएँ-5 / सुधीर सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधीर सक्सेना |संग्रह=समरकंद में बाबर / सुधीर सक्सेना }...)
 
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=समरकंद में बाबर / सुधीर सक्सेना
 
|संग्रह=समरकंद में बाबर / सुधीर सक्सेना
 
}}
 
}}
वे सिर्फ़ समुद्र में नहीं हैं :
+
 
 +
वे सिर्फ़ समुद्र में नहीं हैं :
  
  

23:24, 20 जून 2008 के समय का अवतरण

वे सिर्फ़ समुद्र में नहीं हैं :


बहुधा वे

नारियल पानी पीने चली आती हैं

पुलिन पर,

कभी वे नज़र आती हैं लोकल के किसी डिब्बे में,

कभी खिलखिलाती हैं रुपहले पर्दे पर,

कभी नज़र आती हैं डोंगियों में सवार,


कभी वे गोता लगा जाती हैं प्याले में

और शराब से भीगी हुई निकलती हैं प्याले से


रात जब बजता है गजर

दूधिया रोशनी फिसलती है

उनकी सलोनी चिकनी देह पर।