भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दिल्ली का अक्षरधाम / जया पाठक श्रीनिवासन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जया पाठक श्रीनिवासन |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

01:00, 21 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

दिल्ली का अक्षरधाम
यमुना की देह पर जैसे
जड़ दिया गया हो
तंगहाली का ठप्पा बनाकर
आज वह ठप्पा
यमुना की लहरों से भीख मांगता सा
तंगहाल खड़ा है
यमुना हँस रही है
सुना तुमने???