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"अभी सभ्य होना शुरू ही किया है / जया पाठक श्रीनिवासन" के अवतरणों में अंतर
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पसरे हुए जंगल के किनारे वाला
वह पहला गाँव
मेरा ही तो है
एक दिन वह जंगल
ओझल हो चुका होगा
आँखों से
एक दिन हमारा गाँव दूर होता
पहुँच जायेगा शायद
बीहड़ चाँद पर
अभी सभ्य होना शुरू ही किया है