भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"याद जब डबाडब हो / एमिली डिकिंसन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एमिली डिकिंसन |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:12, 21 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

याद जब डबाडब हो
ठीक से लगा दो ढक्कन उस पर--
आज सुबह का सबसे खूबसूरत लफ़्ज
कहा गुस्ताख़ शाम ने--

अनुवाद : मनोज पटेल