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"अभी हज़ार जंग बाक़ी है / ब्रजमोहन" के अवतरणों में अंतर

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अभी तो जीवन की साँस पीती
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हुई मशीनें ईज़ाद होंगी
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ये नींद में ही तबाह होंगी
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अभी तो लोहा पिघल रहा है
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मजूर का जीवन गल रहा है
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अभी सवालों की भीड़ में ही खोया हुआ है जवाब
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अभी तो धर्मों की मौत होगी
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अभी तो भाषा का दिल जलेगा
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अभी तो जाति की लूट में ही
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अन्धेरा होगा ये दिन ढलेगा
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अभी तो रातों की साज़िशों को सुन रहा है आफ़ताब
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अभी तो रस्तों के धोखे होंगे
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अभी तो पाँव चलेंगे उलटे
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अभी अन्धेरों के ही भरम में
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हज़ार सूरज जलेंगे उलटे
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अभी तो टूटेगा सौ दफ़ा ही क़ातिलों का रुआब
 
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16:56, 23 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

अभी हज़ार जंग बाक़ी हैं, बाक़ी हैं हज़ारों इन्क़लाब
अभी तो आँखें ही पढ़ रही हैं ज़िन्दगी की किताब

अभी तो जीवन की साँस पीती
हुई मशीनें ईज़ाद होंगी
अभी तो सपनों की बस्तियाँ
ये नींद में ही तबाह होंगी
अभी तो जोंकों के ख़ून का भी हुआ नहीं है हिसाब

अभी तो जालिम का सर तना है
अभी तो लोहा पिघल रहा है
धुआँ-धुआँ इन चिमनियों में
मजूर का जीवन गल रहा है
अभी सवालों की भीड़ में ही खोया हुआ है जवाब

अभी तो धर्मों की मौत होगी
अभी तो भाषा का दिल जलेगा
अभी तो जाति की लूट में ही
अन्धेरा होगा ये दिन ढलेगा
अभी तो रातों की साज़िशों को सुन रहा है आफ़ताब

अभी तो रस्तों के धोखे होंगे
अभी तो पाँव चलेंगे उलटे
अभी अन्धेरों के ही भरम में
हज़ार सूरज जलेंगे उलटे
अभी तो टूटेगा सौ दफ़ा ही क़ातिलों का रुआब