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20:45, 30 अक्टूबर 2017 का अवतरण

लोग कहते हैं जो दिखता है वही बिकता है

रो रही इंसानियत हंसती यहाँ दरिंदगी है ये किसकी इबादत है ये किसकी बंदगी है।

लोग कहते हैं जो दिखता है वही बिकता है ये दिखावे की जिंदगी भी कोई जिंदगी है ।

दूसरों के ऐब गिनाना बहुत आसां है मगर अपने अंदर कौन झांकता है कितनी गंदगी है ।

सरे बाजार नंगे हो गए वो बेच के शर्मो हया राहगीरों की नज़र में आज तक शर्मिंदगी है ।

है इसका नाम मज़बूरी इसे मर्जी नहीं कहते बच्चों के लिए रूह बेचना भी कोई ज़िंदगी है ।

-हम तो पीने के बाद होश में आते हैं तपिश दो घूंट पी के होश खो देना भी कोई रिँदगी है ।

जगदीश तपिश