भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जनतंत्र / बिंदु कुमारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिंदु कुमारी |अनुवादक= |संग्रह= }}{{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatAngikaRachna}} | {{KKCatAngikaRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | झारखण्ड मेॅ जनतंत्र | |
− | + | एक एहिनोॅ तमाशा छै | |
− | + | बिकै झिलेबी-बताशा छै | |
− | + | जेकरोॅ जान- | |
− | + | मदारी के भाषा छै। | |
− | + | मतुर कि हम्मेॅ जानै छियै | |
− | + | हमरोॅ राज्य रोॅ समाजवाद | |
− | + | माल गोदाम मेॅ लटकलौ होलोॅ | |
− | + | ऊ बाल्टि जुंगा छै | |
− | + | जेकरा पेॅ आग लिखलोॅ रहै छै | |
− | + | आरो होकरा मेॅ पानी, बालू भरलोॅ रहै छै। | |
− | + | झारखण्ड रोॅ विधान सभा | |
− | + | तेल रोॅ ऊ घानी छेकै | |
− | + | जेकरा मेॅ आधोॅ तेल छै | |
− | + | आरो आधोॅ पानी छै। | |
− | + | नेतां सीनी मनाबै छै | |
− | + | गाँधी जी रोॅ बरस गॉव | |
− | + | सब दल रोॅ नेतासीनी | |
− | + | करै छै साँठ-गाँठ | |
+ | गाँधीजी सेॅ के छै बढ़लोॅ | ||
+ | एक मिनट के राखोॅ मौन। | ||
</poem> | </poem> |
17:48, 2 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
झारखण्ड मेॅ जनतंत्र
एक एहिनोॅ तमाशा छै
बिकै झिलेबी-बताशा छै
जेकरोॅ जान-
मदारी के भाषा छै।
मतुर कि हम्मेॅ जानै छियै
हमरोॅ राज्य रोॅ समाजवाद
माल गोदाम मेॅ लटकलौ होलोॅ
ऊ बाल्टि जुंगा छै
जेकरा पेॅ आग लिखलोॅ रहै छै
आरो होकरा मेॅ पानी, बालू भरलोॅ रहै छै।
झारखण्ड रोॅ विधान सभा
तेल रोॅ ऊ घानी छेकै
जेकरा मेॅ आधोॅ तेल छै
आरो आधोॅ पानी छै।
नेतां सीनी मनाबै छै
गाँधी जी रोॅ बरस गॉव
सब दल रोॅ नेतासीनी
करै छै साँठ-गाँठ
गाँधीजी सेॅ के छै बढ़लोॅ
एक मिनट के राखोॅ मौन।