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"जीने के लिए मरना / नाज़िम हिक़मत" के अवतरणों में अंतर
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हमने उम्मीद के सहारे | हमने उम्मीद के सहारे | ||
टूटकर यूँ ही ज़िन्दगी जी है | टूटकर यूँ ही ज़िन्दगी जी है | ||
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21:50, 4 नवम्बर 2017 का अवतरण
जीने के लिए मरना
ये कैसी सआदत<ref>तेजस्विता</ref> है
मरने के लिए जीना
ये कैसी हिमाक़त है
अकेले जीओ
एक शमशाद<ref>सर्व का पेड़, जो बिल्कुल सीधा होता है और जिससे अक्सर नायिका की उपमा दी जाती है</ref> तन की तरह
अओर मिलकर जीओ
एक बन की तरह
हमने उम्मीद के सहारे
टूटकर यूँ ही ज़िन्दगी जी है
जिस तरह तुमसे आशिक़ी की है।
शब्दार्थ
<references/>