"सुनिए /व्लदीमिर मयकोव्स्की" के अवतरणों में अंतर
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लेकिन बाहर से शान्त । | लेकिन बाहर से शान्त । | ||
कहता है वह किसी से, | कहता है वह किसी से, | ||
अब तो सब कुछ ठीक है ना ? | अब तो सब कुछ ठीक है ना ? | ||
डर तो नहीं लगता ? | डर तो नहीं लगता ? | ||
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तारों के जलते रहने का | तारों के जलते रहने का | ||
कुछ तो होगा अर्थ ? | कुछ तो होगा अर्थ ? | ||
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हर शाम छत के ऊपर | हर शाम छत के ऊपर | ||
चमकना कम-से-कम एक तारे का ? | चमकना कम-से-कम एक तारे का ? | ||
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+ | '''मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह''' | ||
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20:44, 10 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
सुनिए !
आख़िर यदि जलते हैं तारे
किसी को तो होगी उनकी जरूरत ?
कोई तो चाहता होगा उनका होना ?
कोई तो पुकारता होगा थूक के इन छींटों को
हीरों के नामों से ?
और दोपहर की धूल के अन्धड़ में,
अपनी पूरी ताक़त लगाता
पहुँच ही जाता है ख़ुदा के पास,
डरता है कि देर हुई है उससे,
रोता है,
चूमता है उसके मज़बूत हाथ,
प्रार्थना करता है
कि अवश्य ही रहे कोई-न-कोई तारा उसके ऊपर ।
क़समें खाता है
कि बर्दाश्त नहीं कर सकेगा तारों रहित अपने दुख ।
और उसके बाद
चल देता है चिन्तित
लेकिन बाहर से शान्त ।
कहता है वह किसी से,
अब तो सब कुछ ठीक है ना ?
डर तो नहीं लगता ?
सुनिए !
तारों के जलते रहने का
कुछ तो होगा अर्थ ?
किसी को तो होगी इसकी ज़रूरत ?
ज़रूरी होता होगा
हर शाम छत के ऊपर
चमकना कम-से-कम एक तारे का ?
मूल रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह