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वीरता दिखाने के लिए भी | वीरता दिखाने के लिए भी | ||
बलात्कार एक हथियार रहा है | बलात्कार एक हथियार रहा है | ||
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मगर ये नई बात है | मगर ये नई बात है | ||
लगभग बिना बात | लगभग बिना बात | ||
लिंग का हिंसक प्रदर्शन | लिंग का हिंसक प्रदर्शन | ||
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लिंगधारी जब उठते बैठते हैं | लिंगधारी जब उठते बैठते हैं | ||
तो भी ऐसा लगता है जैसे | तो भी ऐसा लगता है जैसे | ||
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खुजली जैसे बहानों के साथ भी | खुजली जैसे बहानों के साथ भी | ||
वे ऐसा व्यापक पैमाने पर करते हैं | वे ऐसा व्यापक पैमाने पर करते हैं | ||
− | + | माँ बहन की गालियाँ देते हुए भी | |
वे लिंग पर इतरा रहे होते हैं। | वे लिंग पर इतरा रहे होते हैं। | ||
आख़िर लिंग देखकर ही | आख़िर लिंग देखकर ही | ||
माता-पिता थाली बजाने लगते हैं | माता-पिता थाली बजाने लगते हैं | ||
− | + | दाईयाँ नाचने लगती हैं | |
− | लोग मिठाई के लिए | + | लोग मिठाई के लिए मुँह फाड़े आने लगते हैं |
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+ | ये ज़्यादा पुरानी बात नहीं है | ||
जब फ्रायड महाशय | जब फ्रायड महाशय | ||
लिंग पर इतने मुग्ध हुए | लिंग पर इतने मुग्ध हुए | ||
कि वे एक पेचीदा संरचना को | कि वे एक पेचीदा संरचना को | ||
समझ नहीं सके | समझ नहीं सके | ||
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लिंग के रूप पर मुग्ध | लिंग के रूप पर मुग्ध | ||
वे उसी तरह नाचने लगे | वे उसी तरह नाचने लगे | ||
जैसे हमारी दाईयां नाचती हैं | जैसे हमारी दाईयां नाचती हैं | ||
− | + | पूँजी और सर्वसत्ताओं के मेल से | |
परिमाण और ताक़त में गठजोड़ हो गया | परिमाण और ताक़त में गठजोड़ हो गया | ||
ज़ाहिर है गुणवत्ता का मेल | ज़ाहिर है गुणवत्ता का मेल | ||
सत्ताविहीन और वंचित से होना था | सत्ताविहीन और वंचित से होना था | ||
− | हमारे शास्त्र पुराण, महान धार्मिक | + | |
− | + | हमारे शास्त्र पुराण, महान धार्मिक कर्मकाण्ड, मनोविज्ञान | |
− | स्थापित हुआ जैसे सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता | + | मिठाई औरनाते रिश्तों के योग से |
− | आश्चर्य नहीं कि | + | लिंग इस तरह स्थापित हुआ |
+ | जैसे सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता | ||
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+ | आश्चर्य नहीं कि माँ की स्तुतियाँ | ||
कई बार लिंग के यशोगान की तरह सुनाई पड़ती हैं। | कई बार लिंग के यशोगान की तरह सुनाई पड़ती हैं। | ||
− | लिंग का हिंसक प्रदर्शन उस समय ज़रूरी हो जाता है जब लिंगधारी का | + | लिंग का हिंसक प्रदर्शन |
− | ध्वस्त हो रहा हो | + | उस समय ज़रूरी हो जाता है |
− | योनि, गर्भाशय, | + | जब लिंगधारी का प्रभामण्डल ध्वस्त हो रहा हो |
− | दूध की ग्रन्थियों और विवेक सम्मत शरीर के साथ गुणात्मक रूप से भिन्न मनुष्य | + | |
+ | योनि, गर्भाशय, अण्डाशय, स्तन, दूध की ग्रन्थियों | ||
+ | और विवेक सम्मत शरीर के साथ | ||
+ | गुणात्मक रूप से भिन्न मनुष्य | ||
जब नागरिक समाज में प्रवेश करता है | जब नागरिक समाज में प्रवेश करता है | ||
तो वह एक चुनौती है | तो वह एक चुनौती है | ||
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लिंग की आकृति पर मुग्ध | लिंग की आकृति पर मुग्ध | ||
− | विवेकहीन लिंगधारी सामूहिक रूप में अपना डगमगाता वर्चस्व जमाना चाहता है। | + | विवेकहीन लिंगधारी सामूहिक रूप में अपना |
+ | डगमगाता वर्चस्व जमाना चाहता है। | ||
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01:46, 11 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
लिंग का सामूहिक प्रदर्शन
जिसे हम गैंगरेप कहते हैं
बाक़ायदा टीम बनाकर
टीम भावना के साथ अंजाम दिया जाता है।
एकान्त मे स्त्री के साथ
ज़ोर जबरदस्ती तो ख़ैर
सभ्यता का हिस्सा रहा है
युद्धों और दुश्मनियों के सन्दर्भ में
वीरता दिखाने के लिए भी
बलात्कार एक हथियार रहा है
मगर ये नई बात है
लगभग बिना बात
लिंग का हिंसक प्रदर्शन
लिंगधारी जब उठते बैठते हैं
तो भी ऐसा लगता है जैसे
वे लिंग का प्रदर्शन करना चाहते हैं
खुजली जैसे बहानों के साथ भी
वे ऐसा व्यापक पैमाने पर करते हैं
माँ बहन की गालियाँ देते हुए भी
वे लिंग पर इतरा रहे होते हैं।
आख़िर लिंग देखकर ही
माता-पिता थाली बजाने लगते हैं
दाईयाँ नाचने लगती हैं
लोग मिठाई के लिए मुँह फाड़े आने लगते हैं
ये ज़्यादा पुरानी बात नहीं है
जब फ्रायड महाशय
लिंग पर इतने मुग्ध हुए
कि वे एक पेचीदा संरचना को
समझ नहीं सके
लिंग के रूप पर मुग्ध
वे उसी तरह नाचने लगे
जैसे हमारी दाईयां नाचती हैं
पूँजी और सर्वसत्ताओं के मेल से
परिमाण और ताक़त में गठजोड़ हो गया
ज़ाहिर है गुणवत्ता का मेल
सत्ताविहीन और वंचित से होना था
हमारे शास्त्र पुराण, महान धार्मिक कर्मकाण्ड, मनोविज्ञान
मिठाई औरनाते रिश्तों के योग से
लिंग इस तरह स्थापित हुआ
जैसे सर्वशक्तिमान सृष्टिकर्ता
आश्चर्य नहीं कि माँ की स्तुतियाँ
कई बार लिंग के यशोगान की तरह सुनाई पड़ती हैं।
लिंग का हिंसक प्रदर्शन
उस समय ज़रूरी हो जाता है
जब लिंगधारी का प्रभामण्डल ध्वस्त हो रहा हो
योनि, गर्भाशय, अण्डाशय, स्तन, दूध की ग्रन्थियों
और विवेक सम्मत शरीर के साथ
गुणात्मक रूप से भिन्न मनुष्य
जब नागरिक समाज में प्रवेश करता है
तो वह एक चुनौती है
लिंग की आकृति पर मुग्ध
विवेकहीन लिंगधारी सामूहिक रूप में अपना
डगमगाता वर्चस्व जमाना चाहता है।