भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तेरे द्वारे आऊँ माँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) |
SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatGhazal}} | {{KKCatGhazal}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | तेरे द्वारे आऊँ माँ | + | |
− | नितनित शीश नवाऊँ माँ | + | -: सरस्वती वंदना :- |
+ | |||
+ | तेरे द्वारे आऊँ माँ | ||
+ | नितनित शीश नवाऊँ माँ | ||
कुछ अपनी, कुछ जग बीती | कुछ अपनी, कुछ जग बीती | ||
− | दुनिया को बतलाऊँ माँ | + | दुनिया को बतलाऊँ माँ |
− | + | ग़ज़लों के गुलदस्ते मैं | |
− | चरणों तक पहुँचाऊँ माँ | + | चरणों तक पहुँचाऊँ माँ |
− | वाणी में बस जाना तुम | + | वाणी में बस जाना तुम |
− | गीत, ग़ज़ल जब गाऊँ माँ | + | गीत, ग़ज़ल जब गाऊँ माँ |
− | मेरी अभिलाषा है ये | + | मेरी अभिलाषा है ये |
− | तेरा सुत कहलाऊँ माँ | + | तेरा सुत कहलाऊँ माँ |
− | याद करे दुनिया जिससे | + | याद करे दुनिया जिससे |
− | ऐसा कुछ कह जाऊँ माँ | + | ऐसा कुछ कह जाऊँ माँ |
− | लोग 'रक़ीब' समझते हैं | + | लोग 'रक़ीब' समझते हैं |
− | क्या उनको समझाऊँ माँ | + | क्या उनको समझाऊँ माँ |
+ | |||
+ | --- सतीश शुक्ला 'रक़ीब' | ||
</poem> | </poem> |
17:31, 11 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
-: सरस्वती वंदना :-
तेरे द्वारे आऊँ माँ
नितनित शीश नवाऊँ माँ
कुछ अपनी, कुछ जग बीती
दुनिया को बतलाऊँ माँ
ग़ज़लों के गुलदस्ते मैं
चरणों तक पहुँचाऊँ माँ
वाणी में बस जाना तुम
गीत, ग़ज़ल जब गाऊँ माँ
मेरी अभिलाषा है ये
तेरा सुत कहलाऊँ माँ
याद करे दुनिया जिससे
ऐसा कुछ कह जाऊँ माँ
लोग 'रक़ीब' समझते हैं
क्या उनको समझाऊँ माँ
--- सतीश शुक्ला 'रक़ीब'