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"मात्तिएका अनुहारहरु / रवि प्राञ्जल" के अवतरणों में अंतर
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गल्ली-गल्ली भेटें कती, मात्तिएका अनुहारहरु
विष पिएर बाँचे कती, च्यात्तिएका अनुहारहरु
फक्रेका ति फूलहरु, ओइलिगए अँध्यारोमा
वाध्यताले झुकिरहे, आत्तिएका अनुहारहरु
कती जिउँदा लाशहरु, सिक्काभित्रै बिकिरहे
सेलाउँदै गए छिनमै, तत्तिएका अनुहारहरु
बेदाग थे फूल कठै ! दाग त्यहाँ लागिरह्यो
निला भए गुराँसका रात्तिएका अनुहारहरु
जून्-तारा बादलभित्र छाँद हाली रोईरहे
हाँसिरहे खिज्याउँदै, पात्तिएका अनुहारहरु