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"तेरी ख़ुशबू फ़िज़ाओं में बिखर जाए तो अच्छा हो / राजीव भरोल 'राज़'" के अवतरणों में अंतर

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19:48, 21 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

तेरी खुशबू फिज़ाओं में बिखर जाए तो अच्छा हो
कोई झोंका तुझे छू कर गुज़र जाए तो अच्छा हो

कई दिन से तसव्वुर आपका मेहमां है इस दिल में
ये मेहमाँ और थोड़े दिन ठहर जाए तो अच्छा हो

सफर की मुश्किलों का यूं तो कुछ शिकवा नहीं फिर भी
मेरी मंजिल का हर रस्ता संवर जाए तो अच्छा हो

कफस में ही अगर रहना है तो उड़ने की हसरत क्यों
कोई आकर मेरे ये पर कतर जाये तो अच्‍छा हो

बहुत रुसवा हुआ हूँ मैं यहाँ सच बोल कर यारो
ये पागलपन मेरे सर से उतर जाए तो अच्छा हो

सराबों के तअक्कुब में भटकता फिर रहा है जो
वो भूला सुबह का अब अपने घर जाए तो अच्छा हो