भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अंतिम पहर में चांद / महाप्रकाश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महाप्रकाश |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:47, 28 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
यह कौन है बुढिया
नीले बिछावन पर सोई
चतुर्दिक पसारे अपनी केशराशि
अतीत की निद्रा में डूबी
अस्फुट शब्दों में कह रही
कौन सी कथा
बार-बार।