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"सच-झूठ / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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जब तुझे लगे
कि दुनिया में सत्य
सर्वत्र हार रहा है
समझो
तेरे भीतर का झूठ
तुझको ही
कहीं मार रहा है।