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"प्रार्थना के पद्म / रामनरेश पाठक" के अवतरणों में अंतर
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चैत की पहली भोर में | चैत की पहली भोर में | ||
पके चैती अरहर के खेतों की | पके चैती अरहर के खेतों की | ||
− | विराग-कन्या आँखों में उतरे, उतरती | + | विराग-कन्या आँखों में उतरे, उतरती जाये... |
करुणा का चन्दन माथे पर, भुजाओं में, वक्ष पर | करुणा का चन्दन माथे पर, भुजाओं में, वक्ष पर | ||
− | चरणों में उगे, रेख उगती | + | चरणों में उगे, रेख उगती जाये... |
गंध से सारी देह-वल्ली, चेतना-श्री | गंध से सारी देह-वल्ली, चेतना-श्री | ||
विलास शैय्या पर मुर्च्छित हो | विलास शैय्या पर मुर्च्छित हो | ||
− | अबीर-गुलाल की बदरी बरसे, बरसती | + | अबीर-गुलाल की बदरी बरसे, बरसती जाये... |
− | एक तटस्थ जड़ता संवेदनाएँ पिए, पीती | + | एक तटस्थ जड़ता संवेदनाएँ पिए, पीती जाये... |
तब...प्रार्थना के रक्त, पीत, श्वेत, नील, पद्म | तब...प्रार्थना के रक्त, पीत, श्वेत, नील, पद्म | ||
− | कहाँ अर्पित होंगे ? कहाँ | + | कहाँ अर्पित होंगे ? कहाँ ? |
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17:40, 7 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
चैत की पहली भोर में
पके चैती अरहर के खेतों की
विराग-कन्या आँखों में उतरे, उतरती जाये...
करुणा का चन्दन माथे पर, भुजाओं में, वक्ष पर
चरणों में उगे, रेख उगती जाये...
गंध से सारी देह-वल्ली, चेतना-श्री
विलास शैय्या पर मुर्च्छित हो
अबीर-गुलाल की बदरी बरसे, बरसती जाये...
एक तटस्थ जड़ता संवेदनाएँ पिए, पीती जाये...
तब...प्रार्थना के रक्त, पीत, श्वेत, नील, पद्म
कहाँ अर्पित होंगे ? कहाँ ?