भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गति / अदोनिस" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदोनिस |अनुवादक=अनुपमा पाठक |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:04, 20 दिसम्बर 2017 का अवतरण
मैं अपने शरीर के बाहर यात्रा करता हूँ, और मेरे भीतर ऐसे महाद्वीप हैं
जिन्हें मैं नहीं जानता. मेरा शरीर
अपने बाहर एक शाश्वत गति है.
मैं नहीं पूछता: कहाँ से? या कहाँ थे तुम? मैं पूछता हूँ, कहाँ जाता हूँ मैं?
रजकण मुझे देखते हैं और परिवर्तित कर देते हैं रजकण में,
जल देखता है मुझे और अपना सहजात बना लेता है.
वास्तव में, कुछ भी शेष नहीं बचता गोधूलि बेला में सिवाए स्मृतियों के.