भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुज़र गये वो साल फलाने / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपक शर्मा 'दीप' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

08:57, 23 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

गुज़र गये वो साल फलाने
जब थे माला माल फलाने

अभी कहां के राजा-रूजा
अब तो हैं कंगाल फलाने

दिल गोया है विक्रम जैसा
है दुनिया बेताल फलाने

सस्ता है बस ख़ून यहां पर
मँहगी सब्जी-दाल फलाने!

एक तो कांटे हर सू यां-वां
उस पर इतने जाल फलाने

कौन बाप है इन मारों का?
किस के हैं ये लाल फलाने!

उन को क्या मालूम ग़रीबी
उनके घर टकसाल फलाने

बतला दूँगा वरना सच-सच
मत पूछो तुम हाल फलाने !

क्या है कोई बात भला क्यों
छोड़ दिया ननिहाल फलाने?

ऊबड़-खाबड़ दिल वालों के
चिकने-चिकने गाल फलाने

वही गुज़िश्ता-साल हुआ जो
वही हुआ इस साल,फलाने!