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छूट गया रनिवास री जोगन
बीत गया मधुमास री जोगन

कौन अभी है पास री पगली
कौन नहीं था पास री जोगन

उलट रहे हँय जग में सब को
सबके सबसे खास री जोगन

वो ही हम-सब का है हाक़िम,
हम सब दासी-दास री जोगन

कौन अधर पर हय-तृष्णा-सा
किसकी है ये प्यास री जोगन

करती हँय 'चिन्ताएं' प्रति-क्षण
मति-उर से सहवास री जोगन

दुनिया, हम-तुम, यह-वह माटी
बाक़ी सब कुछ घास री जोगन