भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अहसासों को ऐसे चाला जाएगा / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दीपक शर्मा 'दीप' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:10, 23 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण


अहसासों को ऐसे चाला जाएगा
रफ़्ता-रफ़्ता शेर निकाला जाएगा

नश्शा-नश्शा ज़ुल्फ़ों की अँगड़ाई में
कैसे अपना होश सँभाला जाएगा

जाने कैसा ख्व़ाब अभी देखा मैं ने
चाबी होगी, उस में ताला जाएगा

अपने भाले से कह दे दुश्मन-जानी!
मुझमें, केवल मेरा भाला जाएगा

वक़्ते-फ़ुर्सत खाली गगरी को भी 'दीप'
बेजा दसियों बार खँगाला जाएगा