भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अहित की सोच / कैलाश पण्डा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश पण्डा |अनुवादक= |संग्रह=स्प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:39, 27 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
अहित की सोच
खरोंच देती
मेरे ह्रदय की धमनियों को
दूषित सा वातावरण
बनाता मेरे अन्तर में खाई
पनपते उद्वेग
कुटिल चेष्टाएं
द्वेषयुक्त चित्त
किसी उघेड़ बुन में
भागता रहता दिन रात
तुच्छ बातें भी
बहुत बड़ी लगतीं
औकात से परे
अस्तित्व समझता
क्योंकि अहम् के रहते
स्वयं को भी नहीं पहचान पाता
उस वक्त।