भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुम बादल बन / सैयद शहरोज़ क़मर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
तुम बादल बन्बरसोगे
+
तुम बादल बन बरसोगे
 
भले वर्षा
 
भले वर्षा
 
तेज़ाबी हो
 
तेज़ाबी हो

15:38, 29 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण

तुम बादल बन बरसोगे
भले वर्षा
तेज़ाबी हो

स्वीकार्य है हमें
ये परिस्थितिजन्य
विवशता है
इसे
नपुंसकता से भी
कह सकते हैं।

04.07.97