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Kavita Kosh से
चाँद मेरा साथी है..<br>
और अधूरी बात <br>
सुन रहा है, चुपके चुपके,<br>
मेरी सारी बात!<br>
चाँद मेरा साथी है..<br><br>
चाँद चमकता क्यूँ रहता है ?<br>
क्यूँ घटता बढता रहता है ?<br>
क्योँ उफान आता सागर मेँ ?<br>
क्यूँ जल पीछे हटता है ?<br>
चाँद मेरा साथी है..<br>
और अधूरी बात <br>
सुन रहा है, चुपके चुपके,<br>
मेरी सारी बात!<br>
क्योँ गोरी को दिया मान?<br>
क्यूँ सुँदरता हरती प्राण?<br>
क्योँ मन डरता है, अनजान?<br>
क्योँ परवशता या अभिमान?<br><br>
क्यूँ सुँदरता हरती मन मेरा है नादान ?<br>क्यूँ झूठोँ का बढता मान?<br>क्योँ फिरते जगमेँ बन ठन?<br>क्योँ हाथ पसारे देते प्राण?<br><br>