भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाइकु / ज्ञानेन्द्रपति" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=ज्ञानेन्द्रपति | |रचनाकार=ज्ञानेन्द्रपति | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatHaiku}} | |
<poem> | <poem> | ||
देवता हुए | देवता हुए |
10:11, 4 फ़रवरी 2018 का अवतरण
देवता हुए
सामंत सहायक
राजतंत्र में
मिटता नहीं
सिरजा जाता जिसे
एक बार
गाते न दिखा
सुना गया हमेशा
काला झींगुर
नाम दुलारी
दुखों की दुलारी है
जमादारिन
पनही नहीं
पाँव में, गले में
पगहा है भारी
मेघ बोझिल
मन भर मौसम
छूटा अकेला