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+ | क्यों दिल को है भाए ? | ||
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+ | सोए वक़्त ने | ||
+ | करवट बदली | ||
+ | फिर सो गया | ||
+ | तड़पती ज़िंदगी | ||
+ | सुख-चैन खो गया। | ||
+ | 19 | ||
+ | अनोखी रीत | ||
+ | किसने लिख डाले | ||
+ | काली चादर | ||
+ | इतने सारे गीत | ||
+ | ज्यों जलते हों दीप । | ||
+ | 20 | ||
+ | मिले ही क्यों थे? | ||
+ | मीत मुझे राहों में | ||
+ | ख़्वाबों से आते | ||
+ | बिन दो बोल कहे | ||
+ | क्यों मौन चले जाते ? | ||
+ | 21 | ||
+ | बहुत प्यारा | ||
+ | संसार हमारा है | ||
+ | मान भी लो न | ||
+ | महकाया जिसने | ||
+ | वो प्यार तुम्हारा है । | ||
+ | 22 | ||
+ | मेरी सुन लो | ||
+ | कहो कुछ अपनी | ||
+ | मन छलता | ||
+ | रह जाना यूँ मौन | ||
+ | तुम्हारा है खलता । | ||
+ | 23 | ||
+ | राहों में काँटे | ||
+ | कि हों फूल ,चलना | ||
+ | थाम के दिल | ||
+ | उठते हैं क़दम | ||
+ | मिले तभी मंज़िल । | ||
+ | 24 | ||
+ | मीत पथ के | ||
+ | मौन संग चलना | ||
+ | देता है पीड़ा | ||
+ | ऐसे बीच हमारे | ||
+ | अबोले का पलना । | ||
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16:45, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
17
दर्द ही बाँटे
अबूझ है पहेली
प्रीत सहेली
अक्सर ये रुलाए
क्यों दिल को है भाए ?
18
सोए वक़्त ने
करवट बदली
फिर सो गया
तड़पती ज़िंदगी
सुख-चैन खो गया।
19
अनोखी रीत
किसने लिख डाले
काली चादर
इतने सारे गीत
ज्यों जलते हों दीप ।
20
मिले ही क्यों थे?
मीत मुझे राहों में
ख़्वाबों से आते
बिन दो बोल कहे
क्यों मौन चले जाते ?
21
बहुत प्यारा
संसार हमारा है
मान भी लो न
महकाया जिसने
वो प्यार तुम्हारा है ।
22
मेरी सुन लो
कहो कुछ अपनी
मन छलता
रह जाना यूँ मौन
तुम्हारा है खलता ।
23
राहों में काँटे
कि हों फूल ,चलना
थाम के दिल
उठते हैं क़दम
मिले तभी मंज़िल ।
24
मीत पथ के
मौन संग चलना
देता है पीड़ा
ऐसे बीच हमारे
अबोले का पलना ।