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+ | मंजिल है मुस्कान | ||
+ | नहीं अधूरी | ||
+ | मुक्त मना- सा बाँट | ||
+ | हो चाह सभी पूरी । | ||
+ | 43 | ||
+ | हाट रात की | ||
+ | तुम भी ले आओ न ! | ||
+ | कुछ सपने | ||
+ | ऊँचे और प्यारे से | ||
+ | मीठे ,उजियारे से । | ||
+ | 44 | ||
+ | गाओ रे मन | ||
+ | मैंने गीत सजाए | ||
+ | यहाँ प्रीत के | ||
+ | कठिनाई पे जीतें | ||
+ | मजबूत इरादे । | ||
+ | 45 | ||
+ | धूप सुहानी | ||
+ | क्यों तमक गई हो ? | ||
+ | राह रोकता | ||
+ | देखो -मेघ रंगीला , | ||
+ | कुछ तो ठंड खाओ ! | ||
+ | 46 | ||
+ | रे मन तेरा | ||
+ | अद्भुत व्यवहार | ||
+ | दीप- नगरी | ||
+ | है जगर- मगर | ||
+ | हवा पहरेदार ! | ||
+ | 47 | ||
+ | मोह ने बाँधा | ||
+ | बिछोह ने छुडाया | ||
+ | रिश्ते जंजीरे | ||
+ | मन ने पहचाना | ||
+ | अपना या पराया । | ||
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16:52, 7 फ़रवरी 2018 का अवतरण
41
अधर सजे
मधुर मुस्कान से
शिखर छू लें
दमके गगन में
ज्यों नव विहान हो !
42
अरे बटोही
मंजिल है मुस्कान
नहीं अधूरी
मुक्त मना- सा बाँट
हो चाह सभी पूरी ।
43
हाट रात की
तुम भी ले आओ न !
कुछ सपने
ऊँचे और प्यारे से
मीठे ,उजियारे से ।
44
गाओ रे मन
मैंने गीत सजाए
यहाँ प्रीत के
कठिनाई पे जीतें
मजबूत इरादे ।
45
धूप सुहानी
क्यों तमक गई हो ?
राह रोकता
देखो -मेघ रंगीला ,
कुछ तो ठंड खाओ !
46
रे मन तेरा
अद्भुत व्यवहार
दीप- नगरी
है जगर- मगर
हवा पहरेदार !
47
मोह ने बाँधा
बिछोह ने छुडाया
रिश्ते जंजीरे
मन ने पहचाना
अपना या पराया ।