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+ | प्रेम- रस भीने -से । | ||
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+ | अरे वसंत ! | ||
+ | कैसी करो ठिठोली | ||
+ | लिए घूमते | ||
+ | ये पवन निगोड़ी | ||
+ | अनहोनी न हो ले । | ||
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+ | न मान करो | ||
+ | मेरे सखा वसंत | ||
+ | कहाँ बसाऊँ | ||
+ | तुम्हीं कहो तो ,मन | ||
+ | बसे हैं मेरे कन्त ! | ||
+ | 52 | ||
+ | अरे फागुन | ||
+ | क्या गुनूँ तेरे गुन | ||
+ | सरस मन | ||
+ | गुनगुना ही उठे | ||
+ | रुत हुई मगन । | ||
+ | 53 | ||
+ | सुनो रे पिया | ||
+ | अजब जादूगर | ||
+ | होरी मचाई | ||
+ | न रंग न गुलाल | ||
+ | हो गई मैं तो लाल । | ||
+ | 54 | ||
+ | जलधारा -सी | ||
+ | उतरूँ जो निर्मल | ||
+ | तृषित धरा | ||
+ | संग में हरषाए | ||
+ | मुदित मना गाए । | ||
+ | 55 | ||
+ | मैं बदरी -सी | ||
+ | अम्बर में छा जाऊँ | ||
+ | तपा सताए | ||
+ | रवि- कर निकर | ||
+ | बरसूँ सरसाऊँ । | ||
+ | 56 | ||
+ | अरे सूरज ! | ||
+ | जाने कहाँ खो गया | ||
+ | शीत सिहरा | ||
+ | कोहरे की चादर | ||
+ | ओढ़कर सो गया । | ||
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16:55, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
49
बीज खुशी के
मैं बो आई थी कल
उग आएँगे
कुछ पौधे प्यारे- से
प्रेम- रस भीने -से ।
50
अरे वसंत !
कैसी करो ठिठोली
लिए घूमते
ये पवन निगोड़ी
अनहोनी न हो ले ।
51
न मान करो
मेरे सखा वसंत
कहाँ बसाऊँ
तुम्हीं कहो तो ,मन
बसे हैं मेरे कन्त !
52
अरे फागुन
क्या गुनूँ तेरे गुन
सरस मन
गुनगुना ही उठे
रुत हुई मगन ।
53
सुनो रे पिया
अजब जादूगर
होरी मचाई
न रंग न गुलाल
हो गई मैं तो लाल ।
54
जलधारा -सी
उतरूँ जो निर्मल
तृषित धरा
संग में हरषाए
मुदित मना गाए ।
55
मैं बदरी -सी
अम्बर में छा जाऊँ
तपा सताए
रवि- कर निकर
बरसूँ सरसाऊँ ।
56
अरे सूरज !
जाने कहाँ खो गया
शीत सिहरा
कोहरे की चादर
ओढ़कर सो गया ।