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+ | रात का सितारों से । | ||
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+ | वो मेरा गाँव | ||
+ | गलियाँ,खेत ,गैयाँ | ||
+ | नीम पे झूले | ||
+ | कहिए तो ,ये रिश्ते | ||
+ | कैसे जाएँगे भूले ! | ||
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+ | कह लीजिए- | ||
+ | मौसम सुहाना है , | ||
+ | सच तो यही- | ||
+ | आँखों का सपनों से | ||
+ | रिश्ता पुराना है । | ||
+ | 68 | ||
+ | सुनो हो तुम | ||
+ | तुम से भिन्न मेरी | ||
+ | कहाँ व्याप्ति | ||
+ | जो तुम हो समय | ||
+ | संग मैं तुम्हारी गति | ||
+ | 69 | ||
+ | यादें तुम्हारी | ||
+ | मधुर रागिनी सी | ||
+ | मिलीं शब्द से | ||
+ | और अंकित हुईं | ||
+ | ज्यों काम और रति | ||
+ | 70 | ||
+ | तुम्हीं काव्य में | ||
+ | जो अमर छंद हो | ||
+ | ओ भाव मेरे ! | ||
+ | वहीं मैं भी मिलूँगी | ||
+ | हाँ ,बन कर यति | ||
+ | 71 | ||
+ | बस पावनी | ||
+ | मैं रहूँ वन्दना सी | ||
+ | हे देव मेरे | ||
+ | रहे अस्तित्व मेरा | ||
+ | बन तेरी आरती | ||
+ | 72 | ||
+ | मेरी प्रीत हो | ||
+ | परिचय हो मेरा | ||
+ | मेरे मीत हो | ||
+ | राग मन वीणा के ! | ||
+ | मैं हूँ तुम्हारी सखी । | ||
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16:58, 7 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
65
सीख लेती हूँ
यहाँ रिश्ता निभाना
मैं नज़ारों से
फूल का खुशबू से
रात का सितारों से ।
66
वो मेरा गाँव
गलियाँ,खेत ,गैयाँ
नीम पे झूले
कहिए तो ,ये रिश्ते
कैसे जाएँगे भूले !
67
कह लीजिए-
मौसम सुहाना है ,
सच तो यही-
आँखों का सपनों से
रिश्ता पुराना है ।
68
सुनो हो तुम
तुम से भिन्न मेरी
कहाँ व्याप्ति
जो तुम हो समय
संग मैं तुम्हारी गति
69
यादें तुम्हारी
मधुर रागिनी सी
मिलीं शब्द से
और अंकित हुईं
ज्यों काम और रति
70
तुम्हीं काव्य में
जो अमर छंद हो
ओ भाव मेरे !
वहीं मैं भी मिलूँगी
हाँ ,बन कर यति
71
बस पावनी
मैं रहूँ वन्दना सी
हे देव मेरे
रहे अस्तित्व मेरा
बन तेरी आरती
72
मेरी प्रीत हो
परिचय हो मेरा
मेरे मीत हो
राग मन वीणा के !
मैं हूँ तुम्हारी सखी ।