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"ओस की बूँद (हाइकु) / जगदीश व्योम" के अवतरणों में अंतर
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नदी बनाता  | नदी बनाता  | ||
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सोख हवा से नमीं  | सोख हवा से नमीं  | ||
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वृद्ध पहाड़।  | वृद्ध पहाड़।  | ||
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2  | 2  | ||
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छीन लेता है  | छीन लेता है  | ||
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धनी मेघों से जल  | धनी मेघों से जल  | ||
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दानी पहाड़  | दानी पहाड़  | ||
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3  | 3  | ||
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अनाम गंध  | अनाम गंध  | ||
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बिखेर रही हवा  | बिखेर रही हवा  | ||
| − | + | धान के खेत ।  | |
| − | धान के   | + | |
| − | + | ||
4  | 4  | ||
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ओस की बूँद  | ओस की बूँद  | ||
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कैक्टस पर बैठी  | कैक्टस पर बैठी  | ||
| − | + | शूली पे सन्त ।  | |
| − | शूली   | + | |
| − | + | ||
5  | 5  | ||
| − | |||
छिड़ा जो युद्ध  | छिड़ा जो युद्ध  | ||
| − | |||
रोयेगी मानवता  | रोयेगी मानवता  | ||
| − | + | हँसेंगे गिद्ध ।  | |
| − | हँसेंगे   | + | |
| − | + | ||
6  | 6  | ||
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बिना धूरी की  | बिना धूरी की  | ||
| − | |||
चल रही है चक्की  | चल रही है चक्की  | ||
| − | + | पिसेंगे सब ।  | |
| − | पिसेंगे   | + | |
| − | + | ||
7  | 7  | ||
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गंध के बोरे  | गंध के बोरे  | ||
| − | |||
लाता है ढो ढोकर  | लाता है ढो ढोकर  | ||
| − | + | हवा का घोड़ा ।  | |
| − | हवा का   | + | |
| − | + | ||
8  | 8  | ||
| − | |||
धूप में तपा  | धूप में तपा  | ||
| − | |||
पा गया सुर्ख रंग  | पा गया सुर्ख रंग  | ||
| − | + | टीले का टेसू ।  | |
| − | टीले का   | + | |
| − | + | ||
9  | 9  | ||
| − | |||
चीखता रहा  | चीखता रहा  | ||
| − | |||
झील पार चकोर  | झील पार चकोर  | ||
| − | + | निर्मोही चाँद ।  | |
| − | निर्मोही   | + | |
| − | + | ||
10  | 10  | ||
| − | |||
उगने लगे  | उगने लगे  | ||
| − | |||
कंकरीट के वन  | कंकरीट के वन  | ||
| − | + | उदास मन ।  | |
| − | उदास   | + | |
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18:13, 9 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
1
नदी बनाता
सोख हवा से नमीं
वृद्ध पहाड़।
2
छीन लेता है
धनी मेघों से जल
दानी पहाड़
3
अनाम गंध
बिखेर रही हवा
धान के खेत ।
4
ओस की बूँद
कैक्टस पर बैठी
शूली पे सन्त ।
5
छिड़ा जो युद्ध
रोयेगी मानवता
हँसेंगे गिद्ध ।
6
बिना धूरी की
चल रही है चक्की
पिसेंगे सब ।
7
गंध के बोरे
लाता है ढो ढोकर
हवा का घोड़ा ।
8
धूप में तपा
पा गया सुर्ख रंग
टीले का टेसू ।
9
चीखता रहा
झील पार चकोर
निर्मोही चाँद ।
10
उगने लगे
कंकरीट के वन
उदास मन ।
	
	