[[Category: सेदोका]]
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6मन की झील,चुन-चुन पत्थरफेंके हैं अनगिन,साँस लें कैसे घायल हैं लहरेंतट गूँगे बहरे ।7रूप –कुरूपकोई नर या नारी दु:ख सदा रुलाए,प्यार –सुगन्धये ऐसी है बावरीसबको गमकाए ।8शीतल जलजब चले खोजनेताल मिले गहरे,पी पाते कैसे दो घूँट भला जबहों यक्षों के पहरे ।9प्रश्न हज़ारोंपिपासाकुल मनपहेली कैसे बूझें,तुम जल होदे दो शीतलता तोउत्तर कुछ सूझे ।10पाया तुमकोअब कुछ पा जाएँमन में नहीं सोचा ,खोकर तुम्हेंतुम ही बतलाओक्या कुछ बचता है ?
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