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"शिशु गीत / भाग 1 / ज्योत्स्ना शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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+ | समझ न पाऊँ क्यों उड़ जाए | ||
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+ | जब भी चाहा देखूँ छूकर। | ||
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+ | खेल रहे थे मुन्नू राजा | ||
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+ | लेकर खूब खिलौने प्यारे | ||
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+ | दिखे दूर से चुन्नू भैया | ||
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+ | झट से लगे छुपाने सारे। | ||
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+ | कुछ कच्चे कुछ पक्के लाए | ||
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+ | खरबूजे कितने मन भाए | ||
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+ | अम्मा मुझको लगीं डाँटने | ||
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+ | गमले में जो बीज लगाए. | ||
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+ | '''8''' | ||
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+ | घर में सबने तय करवा दी | ||
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+ | घेवर की फिरनी से शादी | ||
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+ | बरफी झूम-झूम कर नाची | ||
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+ | घूँघट से झाँके है चाची॥ |
11:36, 13 फ़रवरी 2018 का अवतरण
1
'अम्मा' अच्छे लगें अनार
आम अभी ला देना चार
क्यों लाई हो इतनी 'इमली'
'ई' से ईख दिखा दो असली।
2
उछल नाचते बिट्टू, गुल्लू
ऊपर देख रहा था उल्लू
उलट-पुलट कर मारा दाँव
उलझा लिए ऊन में पाँव।
3
एक शेर पिंजरे के अन्दर
ऐनक लगा देखता बन्दर
ओढ़ दुशाला सजी बंदरिया
और उठा ले गई चदरिया।
4
खट्टे और मीठे अंगूर
माँग रहा देखो लंगूर
थोड़े देकर सखा बना लूँ
हो जाए डर सारा दूर।
5
'क' से कब तक पढूँ कबूतर
आँगन आये कभी उतर कर
समझ न पाऊँ क्यों उड़ जाए
जब भी चाहा देखूँ छूकर।
6
खेल रहे थे मुन्नू राजा
लेकर खूब खिलौने प्यारे
दिखे दूर से चुन्नू भैया
झट से लगे छुपाने सारे।
7
कुछ कच्चे कुछ पक्के लाए
खरबूजे कितने मन भाए
अम्मा मुझको लगीं डाँटने
गमले में जो बीज लगाए.
8
घर में सबने तय करवा दी
घेवर की फिरनी से शादी
बरफी झूम-झूम कर नाची
घूँघट से झाँके है चाची॥