भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेहनत से तू यारी रख / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKCatGhazal}} <poem> मेहनत से तू यारी रख कोने में मक्कारी रख मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:28, 18 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण

मेहनत से तू यारी रख
कोने में मक्कारी रख

मां है , दूध पिलाएगी
बच्चे , रोना जारी रख

सौंप दिया ताला चाबी
कहकर, ये बीमारी रख

जेब में, जब बाहर निकले
काग़ज़ कुछ सरकारी रख

बाहर भी मत खा पगले
घर भी शाकाहारी रख

जाना है सबको इक दिन
बेहतर है तैयारी रख

घर में पूजा-पाठ करे
एक 'रक़ीब' पुजारी रख