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22:03, 27 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
एक कोमल लड़की
जीवन की एक बेहद
ज़रूरी कविता लिख रही है
लड़की से माँ बनती वो
संसार के ख़ूबसूरत
दृश्य को जन्म दे रही है।
उससे हौले-हौले बतियाओ
सहलाओ उसका मन अपने
मद्धिम संगीत से
एक लड़का बाहर से बिखरा-बिखरा
समेटना चाह रहा है ख़ुद को
नए-नए रंगों में
सबसे कहो थोड़ा सब्र करें
जीवन के जिस चक्रव्यूह में
फँसे सब
भागते-हाँफते
जिसे पाने के लिए हो रहे हैं
इतने बेहाल
वो ख़ूबसूरती यहाँ
आकार ले रही है
उन्हें अपने उम्र के गाने
गाने दो
उनसे इस समय किसी और
कविता की उम्मीद
करना बेमानी होगा।