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"एक कुत्ते की तरह चांद / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

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बाहर चांद एक कुत्ते की तरह
 
बाहर चांद एक कुत्ते की तरह

00:13, 30 जून 2008 के समय का अवतरण

इस बखत ठंड भयानक है

और ठिठुरता हुआ मैं

बैठा हूँ कमरे में

बाहर चांद एक कुत्ते की तरह

मेरा इंतज़ार कर रहा होगा

अभी मैं निकलूंगा

और पीछे हो लेगा वह

कभी भागेगा

आगे-आगे बादलों में

कभी अचानक किसी मोड़ पर रुककर

लगेगा मूतने

और फिर

भागता चला जाएगा आगे।