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"हमारा पहाडू की नारी / नरेंद्र सिंह नेगी" के अवतरणों में अंतर

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चला फुलारी फूलों को
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प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
सौदा-सौदा फूल बिरौला
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पर्वत जन कठोर भी छिन ये
 
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हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि फ्योंली लयड़ी
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बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
मैं घौर छोड्यावा
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बिन्सिरी बीटी धान्यु मा लगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२
हे जी घर बौण बौड़ीगे ह्वोलु बालो बसंत
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करम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिन
मैं घौर छोड्यावा
+
पुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारी
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि
+
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
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बरखा बतोन्युन बन मा रुझी छन, पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन-२
चला फुलारी फूलों को
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सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणी
सौदा-सौदा फूल बिरौला
+
फिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिन
भौंरों का जूठा फूल ना तोड्यां
+
काम का बोझ की मारी बेटी ब्वारी
म्वारर्यूं का जूठा फूल ना लायाँ
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बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-
 
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खैरी का आंसूंन आंखी भोरीं चा,मन की स्याणी गाणी मोरीं चा -2
ना उनु धरम्यालु आगास
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सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा
ना उनि मयालू यखै धरती
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यूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारी
अजाण औंखा छिन पैंडा
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बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
मनखी अणमील चौतर्फी
+
दुःख बीमारी मा भी काम नि टाली,घर बाण रुसडू याखुली समाली-२
छि भै ये निरभै परदेस मा तुम रौणा त रा
+
स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजाली
मैं घौर छोड्यावा
+
युन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारी
हे जी सार्यूं मा फूलीगे ह्वोलि
+
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
 
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प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
फुल फुलदेई दाल चौंल दे
+
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
घोघा देवा फ्योंल्या फूल
+
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
घोघा फूलदेई की डोली सजली
+
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
गुड़ परसाद दै दूध भत्यूल
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अयूं होलू फुलार हमारा सैंत्यां आर चोलों मा
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होला चैती पसरू मांगना औजी खोला खोलो मा
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ढक्यां मोर द्वार देखिकी फुलारी खौल्यां होला।
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17:26, 10 मार्च 2018 के समय का अवतरण

प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
बिन्सिरी बीटी धान्यु मा लगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२
करम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिन
पुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
बरखा बतोन्युन बन मा रुझी छन, पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन-२
सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणी
फिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिन
काम का बोझ की मारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
खैरी का आंसूंन आंखी भोरीं चा,मन की स्याणी गाणी मोरीं चा -2
सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा
यूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
दुःख बीमारी मा भी काम नि टाली,घर बाण रुसडू याखुली समाली-२
स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजाली
युन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2