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"इस जहां से जब उजाले मिट गए / अभिषेक कुमार अम्बर" के अवतरणों में अंतर
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काश! दिल से उतर गए होते, | काश! दिल से उतर गए होते, | ||
सब हदें पार कर गए होते। | सब हदें पार कर गए होते। |
21:08, 17 मार्च 2018 का अवतरण
1.इस जहां से जब उजाले मिट गए,
दोषियों के दोष काले मिट गए।
क्यों जहां में बढ़ रही हैं नफ़रतें,
क्या मोहब्बत करने वाले मिट गए।
2.
काश! दिल से उतर गए होते,
सब हदें पार कर गए होते।
सांसें लेना भी छोड़ देते हम,
आप अगर बोलकर गए होते।