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"केहि हाइकुहरु (टुक्रा टुक्री) / विमल गुरुङ" के अवतरणों में अंतर

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खोजिरहेछु
हो ! म खोजिरहेछु
थोरै सलाई ।

बिहानीपख
होटेलबाट निस्के
पण्डितहरु ।

बाज शान्तिजप
गरिरहेछ
काखिमा परेवा च्यापेर ।

कुखुरा काटियो
धर्मको नाममा
मन्दिर किन चुपचाप?

कुपोषणले
बालक चाउरियो
देशमा बिकासको मूल फुटिरहेछ ।