भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बीज / कुमार अजय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार अजय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:39, 27 मार्च 2018 के समय का अवतरण
म्हैं आछी भांत जाणूं
अर मानूं राजाजी
कै थारी हामळ भरणिया
आज लाखूं हैं
पण वांरी हामळ रौ
कित्तोक अरथ है आज
वा नीं जांणै थूं,
वांरी हामळ मांय
भेळौ है फगत थारौ सोच
हां, अेकल थारौ ई
अर वींरै लारै है अेक लरड़ीचल्लौ
जिकी मांय दिखै
किणी अफीम रौ असर ई,
पण सुण! अैड़ै बगत मांय ई
जिकौ ऊभौ है आज
इण हवा रै साम्हीं
अर बोलै थारै खिलाफ
वींरै लबजां मांय
भेळौ है करोड़ां रौ मूंन
हां मूंन, जिकै रौ अरथ
हरमेस हामळ नीं हुवै
बगतावू बेबसी अर
रीस री सैनांणी मूंन
आवणै वाळै दरोळ रौ
बीज ई तौ हुय सकै।