भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अभिलाषा / विमल गुरुङ" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विमल गुरुङ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:10, 28 मार्च 2018 के समय का अवतरण
सूर्यको किरण नपरेसम्म
उज्यालो हुँदैन
स्वदेशको लागि नमरी कोहि
शहिद बन्दैन !
पानीको बाढी,
हावाको आँधी
छेकेर छेकिन्न
शहिदको प्यारो आत्मालाई मारी
कदापी मारिन्न ।