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"चिंत्या / दुष्यन्त जोशी" के अवतरणों में अंतर

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थूं
आखै जग री
चिंत्या छोड
नां समझ
खुद नै बाप

थूं
खुद सुधर

समाज
सुधर ज्यासी
आपीआप।