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"मिनखपणौ : दोय / दुष्यन्त जोशी" के अवतरणों में अंतर

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पाखी जियां
उडां
मच्छी जियां
तिरां

अबै
सीखल्यां
थोड़ौ-घणौ
मिनख जियां
मिनखपणौ।