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"लोग / दुष्यन्त जोशी" के अवतरणों में अंतर

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प्रेम, प्यार-मोहब्बत नै
जद
सगळा धरम ग्रंथ
चोखो बतावै

तद
प्रेम करणियां माथै
लोग
आंगळी क्यूं उठावै

म्हूं सोचूं
कै
लोगां रौ
काम तो है कैणौ
देवै बात-बात में मैणौ।