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नीं नीं व्है जैड़ी
सहयां ई
भाटौ बण
घर नै
घर
बणायौ राखै।
त्याग, तप, बलिदान
अर
संकळपां नै
हिमाळौ सूंप
बावनी बण
काढै
आखी जूंण।