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मिनख
इण चिंत्यां में
क्यूं रैवै बीमार
मर्यां पछै
सौ’ कीं त्यार
क$फन
कांधा देवणियां
अर लकड़्यां
सांस
बंद हुवण री है देर
फेर क्यूं करै
तेर-मेर।