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"जीव / ॠतुप्रिया" के अवतरणों में अंतर
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मुसाणां में
दाग रै टैम
परम्परा मुजब
हेलौ मारै
बापूजी
तगड़ा हुज्याइयौ
आग आवै
इण उम्मीदां में
कै स्यात
आग रै डर स्यूं
बोल सकै
जे भीतर हुयसी
जीव।