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"लोग-दोय / ॠतुप्रिया" के अवतरणों में अंतर

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जद लोग हाँसता
म्हां माथै
तद म्हूं
समेट लेंवती
खुद नै
काछुवै दांईं

लोग हाँसता रैया
अर
म्हूं सिमटती रैयी

आज
म्हूं बठैई हूं
जठै ही

लोग
अबै ई हाँसै।